रूस में 38 लोगों पर टेस्ट की गई कोरोना वैक्सीन की साइड इफेक्ट

पिछले कुछ दिनों से  रूस मीडिया और अधिकारी के और से कोरोना वैक्सीन को लेकर काफी न्यूज़ आ रही थी । जहां पर यह कहां जा रहा था कि 15 अगस्त तक ए वैक्सीन को मानव पर परीक्षण करके सफल रूप से सभी लोगों के लिए उपलब्ध करवाया जाएगा, लेकिन शुरुआती परीक्षण में ही कई सारे लोगों को इसकी साइड इफेक्ट हुई।  इससे मालूम होता है कि अभी तक कोरोना वैक्सीन जितनी सफल होनी चाहिए वह हो नहीं रही है ।

Russia corona vaccine side effects

वैक्सीन की साइड इफेक्ट की जानकारी भी सामने आई है रिपोर्ट के मुताबिक सिर्फ 38 लोगों पर परीक्षण की मंजूरी दी गई थी, ज्यादा लोगों को परीक्षण के अंदर शामिल भी नहीं किया गया था, क्योंकि पहले से ही हो सकता है वैज्ञानिकों को मालूम हो कि अभी यह वैक्सीन को बहुत सारे लोगों पर परीक्षण करना ठीक नहीं रहेगा ।

कोरोना वैक्सीन की साइड इफेक्ट

कोरोना वैक्सीन के साइड इफेक्ट कुछ इस तरह से देखने को मिले जैसे कि दर्द, स्वेलिंग, हाय फीवर, कमजोरी महसूस करना, एनर्जी की कमी, भूख नहीं लगना, सिर दर्द, डायरिया, नाक बंद होना, गला खराब होना और नाक बहने जैसी शिकायत भी रिपोर्ट में की गई है ।

Russia corona vaccine

ऊपर के साइड इफेक्ट के हिसाब से वैक्सीन के बहुत सारे कुप्रभाव सामने आए हैं, जो वैक्सीन की संभावना बन रही थी यह जांच के बाद ऐसा लगता है कि अभी उस में देरी होगी तो जो भी लोग कोरोना वैक्सीन के सामने नजर गड़ाए बैठे हैं उसके लिए खासकर जब तक कोई भी  वैक्सीन पूर्णता सफल ना हो उसके कोई भी साइड इफेक्ट ना आए उस परिस्थिति में हम कोरोनावायरस  वैक्सीन की आशा रखनी चाहिए । ऐसे में अगर कोरोना वैक्सीन की राह में ही हम नियमों को पालन नहीं करेंगे और जो भी देखभाल रखनी हैंउसे नहीं रखेंगे तो हमें परेशानियां झेलनी पड़ सकती है ।

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रूस की वैक्सीन पर वैज्ञानिकों का क्या है कहना

कोरोनावायरस के सफल वैक्सीन बनाने को लेकर रूस काफी समय से बहुत सारे लोगों पर वैक्सीन का परीक्षण कर रहा है एक्सपर्ट्स की राय है कि रूस का  ये कदम लापरवाही और मूर्खतापूर्ण है । क्योंकि वैक्सीन का संशोधन जब तक सही दिशा में आगे बढ़ता ना दिखाई दे तब तक मानव परीक्षण नहीं करना चाहिए यह अनैतिक होगा अच्छी तरह से जांच नहीं की गई तो वैक्सीन का बहुत बड़ी आबादी पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ सकता है ।

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विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी रूस वैक्सीन को मंजूरी नहीं दी है लेकिन रूस का दावा है कि 20 देशों में उनकी वैक्सीन की करोड़ों खुराक के लिए आर्डर दिया है ।

रिपोर्ट में यह दावा किया गया है कि रूसी अधिकारियों ने सिर्फ 42 दिनों की शोध के बाद वैक्सीन  को मंजूरी दे दी, इसी वजह से यह पता नहीं चल सका कि वैक्सीन कितनी कारगर है ।

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वैक्सीन के रजिस्ट्रेशन के लिए जो कागजात दिए गए थे उसमें लिखा था कि कोरोना वैक्सीन के प्रभाव को लेकर कोई भी क्लिनिकल स्टडी नहीं हुई है हालांकि पुतिन ने  कहा था कि वैक्सीन सभी जरूरी टेस्ट में पास हो गई है ।

रूस की कोरोना वैक्सीन का नाम

रूस ने अपनी कोरोना वैक्सीन का नाम Sputnik V रखा है ओर  कई देशों में सप्लाई की तैयारी भी कर रहा है हालांकि दुनिया भर के कई वैज्ञानिक ने रूस के कदम की कड़ी आलोचना की है वैज्ञानिकों को डर है कि वैक्सिंग गलत या खतरनाक साबित होने पर महामारी और विकराल रूप ले सकती है ।

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